मेरे मन की बात
(सबकुछ लागे नया-नया)
नए जन्म की नई यात्रा में मेरा नाम ईशान महेश है। नई दिल्ली, भारत में मेरा जन्म हुआ। नामकरण संस्कार के समय मेरा नाम महेशदत्त शर्मा रखा गया।
मेरा विवाह बिंदु पोपली से हुआ। बिंदु चित्रकार है और अपनी पेंटिंग्स के माध्यम से वह प्रकृति के रहस्य में झाँकने का प्रयास करती दिखाई देती है। ध्यान के गहरे क्षण, उसे जो अनुभव कराते हैं, वह उनको अपनी पेंटिंग्स में उद्घाटित करती है।
सन् 1990 से सन् 2000 तक मेरे लेखन के मुख्य विषय बाल-साहित्य, व्यंग्य, नाटक, कहानियाँ और कविताएँ हुआ करती थीं। उसके बाद हिमालय यात्राओं का सिलसिला शुरू हुआ। सन् 2007 से मैंने अपने आध्यात्मिक अनुभवों को भारतीय सांस्कृतिक चेतना के युग पुरुष तथा आधार स्तंभ भगवान राम और कृष्ण के जीवन-दर्शन पर आधारित उपन्यासों के माध्यम से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया। जीवन का जो उच्चतम चिंतन हो सकता है, वह इन महापुरुषों ने जीया है। इन्होंने जो खड़ी चढ़ाई चढ़ी उसको देखकर ही संसार ने इन्हें अवतार कहा।
कुछ अलौकिक पाने की उत्कट प्यास ने मुझे बहुत भटकाया। मुझे किसी प्रश्न का उत्तर नहीं चाहिए था। मुझे तो अनुभव का वह जल चाहिए था, जो वास्तव में मेरी प्यास को शांत कर सके। मैंने बहुत खोजा और जब खोज-खोजकर थक गया तब अनेक सिद्ध-पुरुषों के रूप में वह मेरे समक्ष प्रकट हुआ। मेरी कठोर परीक्षाएँ हुई और तब जाकर मुझे हिमालय के पावन नील-गगन के नीचे वह शांत और निर्मल झील दिखाई दी; जिसमें मैंने अपना प्रतिबिंव देखा।…हृदय में संन्यास उतरा और इसके रंगों ने मेरी उड़ान को दो पंख दिए, जिससे मैं गृहस्थ और संन्यास का तालमेल बिठा सकूँ।
इस सारी यात्रा में मेरी अर्धांगिनी बिंदु ने मुझे अपना अनमोल सहयोग दिया। यदि दूसरे शब्दों में कहूँ तो आज मेरे पास जो भी अज्ञात और रहस्यमयी जगत की संपदा है, उसका श्रेय मेरी पत्नी को ही जाता है। अंतर्यात्रा में बिंदु का जो उन्मुक्त सहयोग मुझे मिला; उस सहयोग ने मुझे बंधनों के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने का मंत्र दिया।…तब मैंने जाना कि यह संसार तो रास्ते का पत्थर है। चाहे इस पत्थर से ठोकर खाओ अथवा इसकी सीढ़ी बनाकर पर्वतों को लाँघ जाओ।
नए जन्म की नई यात्रा, अनंत को जाते ये सोपान, डूब अंतस की गहराइयों में, यह मार्ग बड़ा ही अगम-अजान ।
– ईशान महेश
Straight from the heart...
(Everything seems New)
My name is Eeshaan Mahesh in the new journey of new life. I was born on April 11, 1968 in New Delhi, India.
I married Bindu. She is a painter. Through her paintings, she tries to peep into the mystery of nature. The deep moments of meditation, the experiences it gives her, she evokes in her paintings. Nature bestowed us with two children.
I have tried to express my spiritual experiences through novels based on the life and philosophy of Lord Rama and Lord Krishna, the Yug Purush and pillars of Indian cultural consciousness. The high standards set by these great men would always remain the guiding light for all humanity, especially for those who have kept their hearts open to His grace. Seeing the uphill climb that they experienced, the world called them an ‘Incarnation’.
I wandered a lot in search of spiritual experience. I didn’t want answers to any questions; I wanted the taste of it, something that would quench my thirst. I searched a lot, and when I got tired of searching, God appeared before me in the form of many perfect men, the great masters. I underwent severe tests.
Then one day, while I was in the Himalayas, I saw a tranquil blue lake, I went there to have water in the state of trance, and while doing so, I saw my reflection in the water, the reflection of my real being.
Sannyas descended in my heart, and its colours gave two wings so that I could balance both- the householder and the sannyasin.
In this whole journey, my partner Bindu has given m invaluable support. In other words, the credit of whatever unknown and mysterious I have today goes to my wife.The cooperation I received from her in the inner journey gave me the Mantra to be free. Then I realized that this worldliness is the stone on the way. You can either stumble on it or make a ladder out of it to climb the spiritual heights.
A new journey of new birth,
The steps leading to the infinite…
Drowning in the depths of the soul,
This path is unknown and mysterious.
– Eeshaan Mahesh –