शबरी हो जाना असाधारण और दिव्य घटना है। ‘सबूरी’ शब्द का जन्म शबरी से हुआ है, जिसका अर्थ है सब्र और संतोष के साथ मौन प्रतीक्षा । जब भीतर की चेतना शबरी के समान हो जाती है; तब राम स्वयं पैदल चलकर आते हैं। जिसने अपने हृदय की धरती को राम की प्यास से भर लिया है; वहाँ राम जलधर बनकर बरस जाते हैं।